काली शक्तिपीठ
कोलकाता
कालीघाट काली मंदिर- कोलकाता पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर के कालीघाट में स्थित देवी काली का प्रसिद्ध मंदिर है। कोलकाता में भगवती के अनेक
प्रख्यान स्थल हैं। परंपरागत रूप से हावड़ा स्टेशन से 7 किलोमीटर
दूर काली घाट के काली मंदिर को शक्तिपीठ माना जाता है, जहाँ
सती के दाएँ पाँव की 4 उँगलियों (अँगूठा छोड़कर) का पतन हुआ
था। यहाँ की शक्ति 'कालिका' व भैरव 'नकुलेश' हैं। इस पीठ में काली की भव्य प्रतिमा मौजूद
है, जिनकी लंबी लाल जिह्वा मुख से बाहर निकली है। मंदिर में
त्रिनयना माता रक्तांबरा, मुण्डमालिनी, मुक्तकेशी भी विराजमान हैं। पास ही में नकुलेश का भी मंदिर है।
देवी काली की प्रतिमा
काली मंदिर में देवी काली के प्रचंड रूप की प्रतिमा स्थापित है। इस
प्रतिमा में देवी काली भगवान शिव के छाती पर
पैर रखी हुई हैं। उनके गले में नरमुण्डों की माला है। उनके हाथ में कुल्हाड़ी
तथा कुछ नरमुण्ड है। उनके कमर में भी कुछ नरमुण्ड बंधा हुआ है। उनकी जीभ निकली
हुई है। उनके जीभ से रक्त की कुछ बूंदें भी टपक रही हैं।
अनुश्रुतियों के अनुसार
इस मूर्त्ति के पीछे कुछ अनुश्रुतियाँ भी प्रचलित है। इस अनुश्रुति के अनुसार
देवी किसी बात पर गुस्सा हो गई थीं। इसके बाद उन्होंने नरसंहार करना शुरू कर
दिया। उनके मार्ग में जो भी आता वह मारा जाता। उनके क्रोध को शांत करने के लिए
भगवान शिव उनके रास्ते
में लेट गए। देवी ने गुस्से में उनकी छाती पर भी पैर रख दिया। इसी समय उन्होंने
भगवान शिव को पहचान लिया। इसके बाद ही उनका गुस्सा शांत हुआ और उन्होंने नरसंहार
बंद किया।
दक्षिणेश्वर काली मंदिर
हुगली (गंगा) तट पर ही दक्षिणेश्वर काली का भव्य मंदिर विद्यमान
है। यहाँ पर रामकृष्ण परमहंस ने माँ जगदम्बा की आराधना की थी।
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