कन्याकुमारी
शक्तिपीठ
परिचय
तीन सागरों के संगम-स्थल पर स्थित कन्याकुमारी के मंदिर में ही भद्रकाली का मंदिर है।
यह कुमारी देवी की सखी हैं। यह मंदिर ही
कण्यकाश्रम शक्तिपीठ है, जहां माता का पीठ मतान्तर से उध्र्वदन्त गिरा था। यहाँ की शाक्ति शर्वाणि या
नारायणी तथा भैरव निमिष या स्थाणु हैं।
कन्याकुमारी एक अंतरीप तथा भारत की अंतिम दक्षिणी
सीमा है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यहाँ स्नानार्थी
समस्त पापों से मुक्त हो जाता है-
ततस्तीरे समुद्रस्थ
कन्यातीर्थमुपस्पृशेत्। तत्रो पस्पृश्य राजेंद्र सर्व पापैः प्रमुच्यते॥


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